स्नान करना एक दैनिक किया है स्नान करने से शरीर स्वस्थ हो जाता है मानसिक क्रिया दूरूस्त रहती है पूजा पाठ में मन लगता है चित्त शान्त रहता है कुछ लोग कहते हैं कि मन चंगा तो कठौती में गंगा यानी मन पवित्र है तो सभी कुछ पवित्र है जब मन ही पवित्र नहीं होगा तो गंगा ,जमुना, सरस्वती या कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से क्या लाभ हैं उन लोगों का कथन लगभग सही भी है मैंने लगभग शब्द का प्रयोग इसीलिए किया है कि उनका कथन सत्य तो है किंतु पूर्ण रुप से नहीं क्योंकि स्नान करने से तन सीतल हो जाता है परिश्रम से उत्पन्न हुई थकान नष्ट हो जाती है और मन शीघ्र ही एकाग्र हो जाता है तथा पूजा पाठ भजन कीर्तन में मन लगता है ।
Infection and diseases
मान लीजिए आप थके हुए हैं और आप पूजा करने बैठ गए थकान से आपका बुरा हाल हुआ जा रहा है तो आपका मन कदापि पूजा करने में नहीं लगेगा या फिर सिर दर्द कर रहा है तो भी आप पूजा-पाठ नहीं कर सकेंगे मानता हूं आपका मन पवित्र है किंतु शरीर ही साथ नहीं दे रहा है तो आप पूजा पाठ कैसे करेंगे इसका एक वैज्ञानिक पक्ष भी देखें वैज्ञानिक दृष्टि से भी स्नान करना अति आवश्यक है स्नान करने से शरीर से चिपके हुए कीटाणु निकल जाते हैं जिससे शरीर सभी रोग मुक्त हो जाता है तथा साथ ही साथ शरीर से निकले पसीने की पुर्ति स्नान करने से हो जाती है शरीर के रोमकूपो से पानी शरीर में प्रवेश करता है जिससे शरीर की शुष्कता नष्ट हो जाती है और शरीर के साथ साथ मन भी प्रफुल्लित हो जाता है कुछ लोग कभी-कभी भोजन करने के बाद स्नान करते हैं यह वैज्ञानिक दृष्टि से पूर्ण रूप से गलत है क्योंकि भोजन के बाद हमारे शरीर कि आते भोजन पचाने के कार्य में लग जाती हैं उसके तुरंत बाद स्नान करने से शरीर शीतल हो जाता है और भोजन पचने का कार्य रुक जाता है इस तरह समयानुसार भोजन न पचने के कारण पेट में अपच खट्टी डकारें गैसआदि का विकार भी उत्पन्न हो जाता है जबकि भोजन से पहले स्नान करने से भूख बढ़ जाती है इस तरह प्रतिदिन स्नान करना वैज्ञानिक दृष्टि से भी अति आवश्यक है तो आप स्नान के फायदे अवश्य जान गए होंगे ।
Our food
भोजन के तुरंत बाद जल पीने से क्या होता है ---महापंडित चाणक्य कहते हैं कि भोजन के पहले पानी पीना अमृत के समान है किंतु भोजन के तुरंत बाद पानी पीना विष के समान है ,भोजन के पहले पानी पीने से भोजन बहुत आसानी से पचता है और जब भोजन सही ढंग से पचेगा तो निश्चित है कि शरीर के लिए फायदेमंद होगा ,किंतु भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से आंतेंं शीतल या ठंडी पड़ जाती हैं ,कुछ देर के लिए भोजन पाचन का कार्य शिथिल पड़ जाता है इस तरह पेट में वायु गोला ,अपच,बदहजमी की शिकायत हो जाती है ।जो कभी कभी लंबी बीमारी का रूप धारण कर लेती है अतः थोड़ी सी सावधानी से शरीर को सुरक्षित रखा जा सकता है ।
अतःभोजन के कम से कम 20 मिनट या आधे घंटे बाद ही पानी पीना उचित है।
रात को झाड़ू नहीं लगाना चाहिए क्यों
*क्या धूप से आने के बाद या कठिन परिश्रम करने के बाद तुरंत लेट कर आराम करना चाहिए?
विद्वानों का मत है कि कहीं से भी आने के बाद पहले मुंह धोना चाहिए उसके बाद हाथ और अंत में पैर धोना चाहिए तुरंत आराम की स्थिति में आने पर गर्मी सिर पर चढ़ जाने का डर होता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी तुरंत आराम नहीं करना चाहिए क्योंकि कड़ी धूप से आने के बाद या कठिन परिश्रम करने के बाद तुरंत बिस्तर परआराम करने से बीमार हो जाने के ज्यादा चांस होते हैं क्योंकि शरीर तो तुरंत आराम की स्थिति में पहुंच जाता है किंतु मांस पेशियां, रक्त संचार, हृदय की गति आदि तुरंत सामान्य स्थिति में नहीं आ पाती जिस कारण शरीर और हृदय की गति आदि में तुरंत तालमेल नहीं बनता अर्थात विरोधाभास हो जाता है तथा अक्सर लोग बीमार पड़ जाते हैं ।
ऋषि मुनियों ने पहले मुंह धोना फिर हाथ और उसके बाद पैर धोने का जो विधान बताया है वह विज्ञान की नजर में पूर्ण रूप से उचित है क्योंकि मुंह के साथ मस्तक ,सिर का अगला भाग, नाक ,कान और समूचा चेहरा धुल जाता है जिससे सिर ठंडा हो जाता है अर्थात शरीर की गर्मी नीचे की ओर आ जाती है फिर हाथ धोने पर और नीचे आती है इस तरह अंत में पैर के तलवों से होकर 'अर्थ' पृथ्वी में हो जाती है और शरीर सुरक्षित होता है
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मान लीजिए आप थके हुए हैं और आप पूजा करने बैठ गए थकान से आपका बुरा हाल हुआ जा रहा है तो आपका मन कदापि पूजा करने में नहीं लगेगा या फिर सिर दर्द कर रहा है तो भी आप पूजा-पाठ नहीं कर सकेंगे मानता हूं आपका मन पवित्र है किंतु शरीर ही साथ नहीं दे रहा है तो आप पूजा पाठ कैसे करेंगे इसका एक वैज्ञानिक पक्ष भी देखें वैज्ञानिक दृष्टि से भी स्नान करना अति आवश्यक है स्नान करने से शरीर से चिपके हुए कीटाणु निकल जाते हैं जिससे शरीर सभी रोग मुक्त हो जाता है तथा साथ ही साथ शरीर से निकले पसीने की पुर्ति स्नान करने से हो जाती है शरीर के रोमकूपो से पानी शरीर में प्रवेश करता है जिससे शरीर की शुष्कता नष्ट हो जाती है और शरीर के साथ साथ मन भी प्रफुल्लित हो जाता है कुछ लोग कभी-कभी भोजन करने के बाद स्नान करते हैं यह वैज्ञानिक दृष्टि से पूर्ण रूप से गलत है क्योंकि भोजन के बाद हमारे शरीर कि आते भोजन पचाने के कार्य में लग जाती हैं उसके तुरंत बाद स्नान करने से शरीर शीतल हो जाता है और भोजन पचने का कार्य रुक जाता है इस तरह समयानुसार भोजन न पचने के कारण पेट में अपच खट्टी डकारें गैसआदि का विकार भी उत्पन्न हो जाता है जबकि भोजन से पहले स्नान करने से भूख बढ़ जाती है इस तरह प्रतिदिन स्नान करना वैज्ञानिक दृष्टि से भी अति आवश्यक है तो आप स्नान के फायदे अवश्य जान गए होंगे ।
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भोजन के तुरंत बाद जल पीने से क्या होता है ---महापंडित चाणक्य कहते हैं कि भोजन के पहले पानी पीना अमृत के समान है किंतु भोजन के तुरंत बाद पानी पीना विष के समान है ,भोजन के पहले पानी पीने से भोजन बहुत आसानी से पचता है और जब भोजन सही ढंग से पचेगा तो निश्चित है कि शरीर के लिए फायदेमंद होगा ,किंतु भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से आंतेंं शीतल या ठंडी पड़ जाती हैं ,कुछ देर के लिए भोजन पाचन का कार्य शिथिल पड़ जाता है इस तरह पेट में वायु गोला ,अपच,बदहजमी की शिकायत हो जाती है ।जो कभी कभी लंबी बीमारी का रूप धारण कर लेती है अतः थोड़ी सी सावधानी से शरीर को सुरक्षित रखा जा सकता है ।
अतःभोजन के कम से कम 20 मिनट या आधे घंटे बाद ही पानी पीना उचित है।
रात को झाड़ू नहीं लगाना चाहिए क्यों
*क्या धूप से आने के बाद या कठिन परिश्रम करने के बाद तुरंत लेट कर आराम करना चाहिए?
विद्वानों का मत है कि कहीं से भी आने के बाद पहले मुंह धोना चाहिए उसके बाद हाथ और अंत में पैर धोना चाहिए तुरंत आराम की स्थिति में आने पर गर्मी सिर पर चढ़ जाने का डर होता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी तुरंत आराम नहीं करना चाहिए क्योंकि कड़ी धूप से आने के बाद या कठिन परिश्रम करने के बाद तुरंत बिस्तर परआराम करने से बीमार हो जाने के ज्यादा चांस होते हैं क्योंकि शरीर तो तुरंत आराम की स्थिति में पहुंच जाता है किंतु मांस पेशियां, रक्त संचार, हृदय की गति आदि तुरंत सामान्य स्थिति में नहीं आ पाती जिस कारण शरीर और हृदय की गति आदि में तुरंत तालमेल नहीं बनता अर्थात विरोधाभास हो जाता है तथा अक्सर लोग बीमार पड़ जाते हैं ।
ऋषि मुनियों ने पहले मुंह धोना फिर हाथ और उसके बाद पैर धोने का जो विधान बताया है वह विज्ञान की नजर में पूर्ण रूप से उचित है क्योंकि मुंह के साथ मस्तक ,सिर का अगला भाग, नाक ,कान और समूचा चेहरा धुल जाता है जिससे सिर ठंडा हो जाता है अर्थात शरीर की गर्मी नीचे की ओर आ जाती है फिर हाथ धोने पर और नीचे आती है इस तरह अंत में पैर के तलवों से होकर 'अर्थ' पृथ्वी में हो जाती है और शरीर सुरक्षित होता है